कौन 'बनेगी' करोड़पति, बिग बी के शो में 'शी पावर' का दबदबा

.नवंबर 2020 के इस एक महीने के सिर्फ़ 15 दिनों में, केबीसी के तीन प्रतियोगियों ने करोड़पति बनकर तो इतिहास रचा ही. साथ ही, दूसरा रिकॉर्ड यह भी बना कि करोड़पति बनने वाली ये तीनों प्रतियोगी महिलाएं हैं. पिछले तीन सप्ताह से 'कौन बनेगा करोड़पति' में जिस तरह लगातार तीन महिलाएं करोड़पति बनी हैं, उससे लगता है महिलाओं की सफलता का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.





केबीसी का यह 20वां वर्ष है, सन 2000 में तीन जुलाई को स्टार प्लस पर अमिताभ बच्चन की ही मेज़बानी में 'कौन बनेगा करोड़पति' का पहला एपिसोड प्रसारित हुआ था.





प्रसिद्ध ब्रिटिश टीवी शो 'हू वांट्स टू बी ए मिलिनियर' के भारतीय संस्करण को हिन्दी नाम 'कौन बनेगा करोड़पति' रखा गया. तब पता नहीं, किसी ने यह सोचा या नहीं कि करोड़पति पुरुष ही नहीं, महिला भी बन सकती हैं, या फिर 'हू वांट्स टू बी ए मिलिनियर' के हिन्दी नामकरण मेँ उन्हें कोई ऐसा नाम या वाक्य नहीं मिला जो पुरुष और महिला दोनों के लिए हो सके. वैसे 'किसे मिलेगा एक करोड़' जैसा नाम भी हो सकता था जो पुरुष और महिला दोनों के लिए फ़िट बैठता.











पहली महिला करोड़पति




केबीसी के सीज़न एक से सीज़न 12 के अब तक के प्रसारित एपिसोड की बात करें तो अभी तक एकल प्रतियोगी के रूप में कुल 18 करोड़पति बने हैं. दिलचस्प है कि इन 18 करोड़पतियों में 8 पुरुष हैं और 10 महिलाएं, जबकि सीज़न 11 तक पुरुष, महिलाओं से आगे चल रहे थे. तब तक करोड़पति बनने वाले पुरुष 8 थे और महिलाएं 7 थीं.




लेकिन सीज़न 12 ने बाज़ी पलट दी, लगातार 3 महिलाओं के करोड़पति बनने से महिलाओं ने इस आंकड़े में न सिर्फ़ पहले पुरुषों की बराबरी की, बल्कि अब वे पुरुषों से आगे निकल गई हैं.




पहली महिला करोड़पति, इस शो के शुरू होने के दस साल बाद ही बन सकी थी, एक करोड़ रुपये जीतने वाली पहली एकल महिला प्रतियोगी राहत तस्लीम थीं. झारखंड के गिरिडीह की एक ऐसी मुस्लिम महिला, जिन्होंने औपचारिक तौर पर उच्च शिक्षा हासिल नहीं की थी. साथ ही, केबीसी मेँ आने से पहले उनका बैंक खाता भी नहीं था.




राहत ने 22 नवंबर 2010 को जब यह सफलता अपने नाम दर्ज की तब सोनी चैनल ने अपनी प्रेस रिलीज़ में लिखा- 'केबीसी ने दिया भारत को पहली स्लमडॉग करोड़-पत्नी.'




किसी महिला प्रतियोगी के पहली बार एक करोड़ रुपये की राशि जीतने पर इतना उत्साह था कि इसके लिए बाक़ायदा अमिताभ बच्चन और राहत तस्लीम की एक प्रेस कान्फ्रेंस रखी गई थी.





तब अमिताभ बच्चन ने कहा था, "राहत की यह सफलता बताती है कि महिलाओं को अगर अवसर दिया जाए तो वे अपने जौहर दिखा सकती हैं, राहत इसकी मिसाल हैं, जो झारखंड के एक छोटे से गाँव से आती हैं, जहां परदा प्रथा रही है, जिनके सामने कई सामाजिक विवशताएं थीं, फिर भी वह अपने ज्ञान और आत्मविश्वास के बल पर सफल हुईं. अब वह आगे अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनेंगी."




राहत के कई सपने थे, जिसमें पहले डॉक्टर और फिर शिक्षिका बनने का सपना था, लेकिन सामाजिक परिवेश की वजह से राहत का विवाह काफ़ी कम उम्र में होने से उनकी पढ़ाई छूटने के साथ उनके तमाम सपने टूट गए, लेकिन दो बच्चों की परवरिश और सिलाई वग़ैरह के काम से चलाने वाली राहत के लिए केबीसी अचानक एक बड़ी सौग़ात लेकर आया.




राहत ने केबीसी की पहली महिला करोड़पति बनने पर कहा था, "केबीसी जीतने के बाद मैं ख़ुद को सेलेब्रिटी महसूस कर रही हूँ, अब मैं अपना बुटीक खोलने का सपना पूरा करूंगी. साथ ही अपने बच्चों को अच्छी तालीम भी दे सकूँगी."




केबीसी की पहली महिला विजेता राहत तस्लीम से लेकर हाल ही में केबीसी में करोड़पति बनीं तीन महिलाओं की कहानी भी यही बताती है कि केबीसी ने कैसे उनकी ज़िंदगी बदल दी.




यह जानना दिलचस्प होगा कि इस बार एक साथ तीन महिलाओं का करोड़पति बनना मात्र एक संयोग है या फिर इसके कुछ और कारण हैं.





डिजिटल ऑडिशन की भूमिका




सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया के सीईओ एनपी सिंह कहते हैं, "बहुत ख़ुशी होती है कि महिलाएं उभरकर आगे आ रही हैं, उनकी मेहनत है यह, जिससे उनकी कोशिशें उनके लिए फल ला रही हैं, यह देख मुझे बहुत ही अच्छा लगता है."




वे बताते हैं, "हालांकि तीन महिलाओं का लगातार तीन हफ्तों में करोड़पति बनना एक संयोग ही है लेकिन यह इसलिए भी संभव हुआ कि इस बार केबीसी के ऑडिशन में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया."




एनपीए सिंह बताते हैं, "कोविड-19 के चलते इस बार हमने सारे ऑडिशन डिजिटल तरीक़े से किए जिससे दूर-दराज़ के क्षेत्रों के लोग आसानी से ऑडिशन दे सकें. असल में महिलाओं के लिए अपना घर-परिवार छोड़कर, किसी दूसरे शहर जाकर ऑडिशन देना कुछ मुश्किल रहता है, लेकिन इस बार घर बैठे मोबाइल फ़ोन से ही ऑडिशन देना था. इस कारण महिलाओं ने इस बार पहले से बड़ी तादाद में हिस्सा लिया, अब इसके अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं."





उधर सोनी चैनल के बिज़नेस हेड दानिश ख़ान ने बताया, "कुछ लोग कहते हैं कि महिलाओं की क्विज वगैरह में दिलचस्पी कम होती है, लेकिन केबीसी ने इस बात को ग़लत साबित कर दिया है क्योंकि केबीसी में महिलाओं का प्रतिनिधित्व साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है. जो यह बताता है कि ज्ञान पर किसी एक जेंडर का ही हक़ नहीं है, इस पर सभी का बराबर अधिकार है."




दानिश यह भी बताते हैं, "केबीसी के रजिस्ट्रेशन के समय भी हमने देखा उसमें 40 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया, इस बार तीन महिलाओं का लगातार करोड़पति बनना चाहे एक संयोग है लेकिन यह बात खुशी देती है कि महिलाएं बहुत अच्छे से खेल रही हैं और सफल हो रही हैं."




केबीसी के 20 बरसों के इतिहास में एक व्यक्ति जो बहुत अहम रहे हैं और इसके पहले सीज़न से अब तक किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं, वह हैं सिद्धार्थ बसु, वे कई बरसों तक इस मेगा शो के प्रोड्यूसर भी रहे हैं और अब केबीसी के सलाहकार हैं





बसु बताते हैं, "महिलाओं ने बहुत अच्छा खेला, यह सब बताता है कि मौक़ा मिलने पर जो भी हिम्मत से अच्छा खेलता है, उसे सफलता मिलती है, जब भी कोई जीतता है, मुझे हमेशा खुशी मिलती है, यह एक खुला मंच है, खुलकर खेलने के लिए, केबीसी जैसा कोई और शो नहीं है."




वे बताते हैं, "केबीसी के पहले एपिसोड से नियम है कि 'फ़ास्टेस फ़िंगर्स फ़र्स्ट' की सीट तक जितने भी प्रतियोगी पहुँचें, उनमें 50 प्रतिशत महिलाएं होनी चाहिए जिससे महिलाओं को पूरा प्रतिनिधित्व मिले."





पाँच करोड़ वाली पहली विजेता




देखा जाए तो यह बात बिलकुल सही है कि केबीसी में महिलाओं की भागीदारी शुरू से रही है जिसके कारण पहले भी महिलाएँ 25 लाख, 50 लाख रुपये भी जीतती रहीं हैं और एक करोड़ भी. यहाँ तक कि केबीसी के सीजन 6 में तो 12 जनवरी 2013 को सनमीत कौर साहनी ने 5 करोड़ रुपये जीतकर एक नया रिकॉर्ड बनाया था.




मूलतः पंजाब निवासी लेकिन पिछले कुछ बरसों से मुंबई में ही रह रही सनमीत सिर्फ़ 12वीं पास हैं लेकिन ज्ञान के मामले में वह कितनी आगे हैं, वह इस बात से भी पता लगता है कि अभी तक कोई और महिला उनके रिकॉर्ड तक नहीं पहुँच सकी है जबकि अब तो केबीसी में अधिकतम इनामी राशि 5 करोड़ से बढ़कर 7 करोड़ रुपये हो चुकी है.




केबीसी की महिला करोड़पतियों में राहत तस्लीम और सनमीत कौर के बाद सीजन 7 में फ़िरोज़ फ़ातिमा करोड़पति बनी थीं, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के निकट संसारपुर की 22 साल की फ़िरोज़ फ़ातिमा को यह सफलता उस सीजन के अंतिम एपिसोड में मिली थी.




फ़ातिमा की कहानी भी सभी को प्रेरित करती है कि किस तरह विज्ञान की इस छात्रा को अपने किसान पिता की मौत के बाद अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड्नी पड़ी क्योंकि फ़ातिमा चाहती थीं कि उनकी छोटी बहन कॉलेज में दाखिला ले सके.




अपनी माँ और बहन के साथ रह रही फ़ातिमा के सिर पर 12 लाख रुपये का क़र्ज़ था जो उन्होंने अपने पिता के इलाज के लिए लिया था लेकिन पिता की मौत के बाद किसी ने इनका साथ नहीं दिया पर जब एक दिसम्बर 2014 को फातिमा ने एक करोड़ रुपये जीते तो हर बेगाना इनका सगा बनने को आतुर था.




हिम्मत और हौसले की एक बड़ी मिसाल केबीसी के सीजन 8 में मेघा पाटिल में भी देखने को मिली. मुंबई की 49 साल की मेघा ने जब उस सीज़न में एक करोड़ रुपये जीते तो उस समय वे कैंसर से जूझ रही थीं.




मेघा ने करोड़पति बनने के बाद तब बताया था, "2006 में ही मुझे बता दिया गया कि मेरा कैंसर तीसरी स्टेज पर पहुँच गया है, डॉक्टर ने कहा था मैं सिर्फ़ 6 महीने जी सकूँगी. लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी, मैं बीमार की तरह न रहकर हमेशा काम करते हुए सामान्य जीवन जीती रही. तभी मेरे बच्चों ने कहा कि मेरा जनरल नॉलेज बहुत अच्छा है तो मुझे केबीसी में हिसा लेना चाहिए."




"संयोग से इसमें मेरा सलेक्शन हो गया, मैंने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी. साथ ही, फ़ोन ए फ्रेंड के रूप में मैंने अपने बेटे की भी अपने साथ तैयारी कराई, मैंने सोचा नहीं था कि एक करोड़ तक पहुँचूँगी लेकिन मैंने आत्मविश्वास और धैर्य से खेला और मैं एक करोड़ जीत गई."


अगर ध्यान से देखें तो सीज़न 6 से अभी तक लगातार हर सीज़न में एक महिला तो करोड़पति बन ही रही है. सीज़न 6, 7 और 8 के बाद सीज़न 9 में भी जमशेदपुर की एक समाज सेविका अनामिका मजूमदार करोड़पति बनीं, तो सीज़न 10 में तो असम की एक शिक्षिका बिनीता जैन ने करोड़पति बनकर सभी का दिल जीत लिया क्योंकि बिनीता की कहानी भी काफ़ी मार्मिक थी.




बिनीता का 1991 में मात्र 19 बरस की आयु में व्यवसायी राजेश जैन से विवाह हो गया था, जल्द उनके दो बच्चे भी हो गए रोहित और काव्या, लेकिन 2003 में उनके पति का अपहरण हो गया और उसके बाद वह फिर कभी लौटकर नहीं आए.




अपने पति की इंतज़ार में बिनीता की आँखें पथरा गईं, तब उन्होंने अवसाद में जाने से बचने के लिए एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का काम शुरू किया, इधर वह केबीसी में आने के लिए भी लगातार प्रयासरत रहीं. इनका वह सपना 2018 में पूरा हुआ तो दुनिया ने उनके दुख और संघर्ष की कहानी सुनी.





बिनीता के बाद पिछले साल सीज़न 11 में अमरावती की बबीता टाडे ने तो करोड़पति बनकर अच्छे-अच्छों की आँखें खोल दीं क्योंकि बबीता करोड़पति बनने वाली पहली ऐसी महिला थीं, जो बेहद निम्न आय वर्ग से आती थीं. वह एक स्कूल में मिड डे मील बनाती थीं, जिसके लिए बबीता को मात्र 1500 रुपये महीना मिलते थे. बबीता के पास अपना फ़ोन भी नहीं था.




जब अत्यंत साधारण और अत्यंत ग़रीब बबीता ने एक करोड़ जीता तो सेट पर शूटिंग के दौरान मौजूद सभी लोगों ने खड़े होकर बबीता का ऐसा स्वागत किया कि 20 मिनट तक लगातार तालियाँ बजती रहीं, बबीता ने अपनी इस जीत से साबित कर दिया कि ज्ञान सिर्फ़ स्कूल के शिक्षकों के पास ही नहीं होता, स्कूल में खिचड़ी बनाने वाली काकी भी अपार ज्ञान की स्वामिनी हो सकती है.




इस सीज़न में नवंबर माह में जो तीन महिलाएं करोड़पति बनी हैं. वे भी समाज के अलग-अलग वर्गों से आती हैं. झारखंड मूल की नाज़िया नसीम भारतीय जनसंचार संस्थान की पूर्व छात्र हैं. इन दिनों वह दिल्ली में एक कंपनी में कम्युनिकेशन विभाग की प्रभारी हैं.




नाज़िया बताती हैं, "मैं पिछले 20 साल से ही केबीसी में आने की तैयारी कर रही थी, लेकिन नंबर अब लगा, मेरा मक़सद हॉट सीट पर आना था, पैसों का मुझे इतना कुछ ख़याल नहीं था. एक करोड़ तक जाऊँगी यह भी नहीं सोचा था लेकिन अब जीत गयी हूँ तो एक दम सब कुछ बदल गया है."




यह पूछने जाने पर कि आपके बाद तो दो और महिलाओं ने बाज़ी मार ली, नाज़िया कहती हैं, "मेरे लिए यह ख़ुशी की बात है कि सभी महिलाएं जीत रही हैं, मैं तो चाहूंगी आगे भी सभी महिलाएं जीतें हालांकि यह कहना थोड़ा-सा पक्षपात हो जाएगा," यह कहकर ज़ोर से हंस पड़ती हैं नाज़िया.


 




इस सीज़न की दूसरी करोड़पति मोहिता शर्मा भारतीय पुलिस सेवा में हैं और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं. मोहिता वैसे मूलतः कांगड़ा की हैं लेकिन उनका परिवार बरसों पहले ही हिमाचल प्रदेश से दिल्ली आ गया था इसलिए मोहिता की स्कूल, कॉलेज की सारी पढ़ाई दिल्ली में ही हुई.




30 बरस की मोहिता का 30 अक्तूबर 2019 को ही भारतीय वन सेवा के अधिकारी से विवाह हुआ है. वे कहती हैं, "मेरे पति का केबीसी में जाने का सपना बहुत पुराना था, जब से उन्होंने मुझे यह बताया, उनका सपना मेरा सपना हो गया हालांकि मैं पहले कभी-कभार केबीसी देख लेती थी, लेकिन मेरे मन में पहले कभी नहीं आया कि मैं केबीसी में हिस्सा लूँ."




सीज़न 12 में लगातार तीसरी करोड़पति अनूपा दास छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले के जगदलपुर में सरकारी स्कूल में अध्यापिका हैं. पिछले 20 साल से केबीसी में आने का सपना देखने वाली अनूपा, पिछले एक बरस से अपनी माँ के कैंसर के चलते, मुंबई में ही उनका इलाज कराने के लिए रुकी हुई हैं, ऐसे में केबीसी में मौक़ा मिलने के साथ एक करोड़ रुपए जीतने से उनके उदास चेहरे पर मुस्कान और आँखों में ख़ुशी के आँसू आ गए.




 





 





42 साल की अनूपा से बात हुई तो वह बोलीं, "मेरी ज़िंदगी के ये बदलाव के क्षण हैं, मैं केबीसी में आ सकूँ इसके लिए बरसों पहले मेरे पिता ने घर में बड़ी मुश्किल से एसटीडी कनेक्शन लगवाया था लेकिन मेरा नंबर इतने साल बाद आया. जिस दिन केबीसी का मेरे वाला एपिसोड प्रसारित हुआ तो जगदलपुर में बड़ी स्क्रीन लगवाकर पूरे शहर ने वह एपिसोड साथ देखा. दो तीन घंटे तक पटाख़े चलते रहे हालांकि मैं अपनी माँ के इलाज के लिए मुंबई में हूँ, लेकिन मेरी ग़ैर-मौजूदगी में भी इतने बड़े जश्न के लिए मैं पूरे जगदलपुर की आभारी हूँ."




अनूपा की ज़िंदगी में सन 2009 में एक बड़ा सदमा तब आया जब उनकी शादी एक महीने बाद ही टूट गई.




अनूपा बताती हैं, "अपनी ज़िंदगी के उस नकारात्मक हिस्से को मैं भूलना चाहती हूँ. आज मैं अपने माता-पिता और अपने दो छोटी बहनों और उनके दो बच्चों के साथ बहुत खुश हूँ, मुझे आज जो यह सफलता मिली है, यह सब मेरे माता-पिता की तपस्या का फल है, मैं तो बस एक माध्यम हूँ."




महिलाओं की यह विजय यात्रा केबीसी में क्या आगे भी ऐसे जारी रहेगी? यह देखना वाक़ई दिलचस्प रहेगा.


-From-BBC HINDI